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एक रुपये के नोट 100 साल का सफर

दौर था पहले विश्वयुद्ध का और देश में हुकूमत थी अंग्रेजों की. उस दौरान एक रुपये का सिक्का चला करता था जो चांदी का हुआ करता था लेकिन युद्ध के चलते सरकार चांदी का सिक्का ढालने में असमर्थ हो गयी और इस प्रकार 1917 में पहली बार एक रुपये का नोट लोगों के सामने आया.

सबसे खास बात यह है कि इसे अन्य भारतीय नोटों की तरह भारतीय रिजर्व बैंक जारी नहीं करता बल्कि स्वयं भारत सरकार ही इसकी छपाई करती है. इस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं होता बल्कि देश के वित्त सचिव का दस्तखत होता है.

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